Sadhana Shahi

Add To collaction

अप्रैल फूल कहानी ( प्रतियोगिता हेतु)01-Apr-2024

दिनांक- 01,04, 2024 दिवस- सोमवार प्रदत्त विषय- अप्रैल फूल (कहानी) प्रतियोगिता हेतु

मनोज और स्वाति अच्छे मित्र थे दोनों की मित्रता पूरे विद्यालय में प्रसिद्ध थी समय के साथ-साथ मनोज का पढ़ाई लिखाई से मन हट गया और खुराफात में अधिक रुचि लेने लगा। किंतु स्वाती तन- मन से अपनी पढ़ाई में लगी रहती और सदैव अच्छे अंक अर्जित करने के लिये प्रयासरत रहती थी। वह मनोज को बहुत समझाती मनोज एक बार जो समय हाथ से निकल जाएगा यह दोबारा नहीं मिलेगा इसलिए तुम जिस रास्ते पर चल रहे हो उस रास्ते से वापस आ जाओ और पढ़ाई-लिखाई में मन लगाओ। तुम्हारे मांँ-बाप तुम्हारे लिए बहुत सपने देखे होंगे यदि तुम कुछ नहीं कर सके तो उनका सपना टूट जाएगा और उन सपनों के टूटने के साथ ही तुम्हारी जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी। तुम आगे अपने परिवार समक्ष सर उठा कर चलने लायक नहीं बचोगे इस पर मनोज स्वाती से कहता है तुम तो बेवकूफ़ हो जब देखो तब फिलासफी झाड़ती रहती हो। तुम अपना काम करो मुझे समझने की कोशिश बिल्कुल न करो। स्वाति मनोज से कहती मेरे दोस्त बेवकूफ मैं नहीं बेवकूफ़ तो तुम हो। अभी तुम्हें समय की कीमत नहीं समझ में आ रही है, जिस दिन तुम्हारे पास न माँ-बाप होंगे न समय होगा उस दिन दर-दर की ठोकरें खाओगे, उस दिन तुम्हें समझ में आएगा, कि बेवकूफ कौन था किंतु मनोज के ऊपर स्वाती के समझाने-बुझाने का कोई असर नहीं होता। दिन पर दिन उसकी बदतमीजियांँ बढ़ती ही चली गईं ।विद्यालय में उसका दिन पर दिन इमेज खराब होता जा रहा था और स्वाती सबकी लाडली बनती जा रही थी।

मनोज के खुराफाती दिमाग ने शैतानी रूप लेना शुरू कर दिया अर्धवार्षिक परीक्षा करीब थी किंतु अभी मनोज पढ़ाई- लिखाई छोड़कर देर रात तक घूमने, सिनेमा देखना इसी सब मेँ मशगूल हो था जब कि स्वाती परीक्षा की तैयारी में मशगूल थी।जब परीक्षा को मात्र दो दिन बचा तक मनोज के खुराफाती दिमाग में शैतानी सोच आया।और उसने सोचा मैं कुछ ऐसा करूँ जिससे स्वाती परीक्षा ना दे सके क्योंकि अगर यह परीक्षा दी तोमुझे बहुत डांँट पड़ेगी इस मंसूबे से वह अगले दिन एक क्रोशिया लेकर आया और खेल की घंटी में जब सारे बच्चे बाहरव् गये पर गड़ा दिया। स्वाती जब खेलने के बाद आकर के अपने बीच से बैठे तो क्रोशिया उसे घुस जाए जिसके चलते वह परेशान हो जाए और परीक्षा न दे सके वह भी ऐसे ही स्वाती खेल के घंटी के बाद दौड़ते हुए आई और जैसे ही वह बेंच पर बैठी क्रोशिया उसके पीछे चुभ गया क्योंकि क्रोशिया एक तो लोहे का दूसरा आगे से मुड़ा हुआ होता है ।स्वाति दर्द से कराह उठी । उस समय तो पता नहीं चला कि एक खुराफात किसकी है स्वाति को लेकर विद्यालय के दो टीचर अस्पताल गए वहांँ जाकर उसका क्रोशिया निकल गया उसके बाद यह पता किया जाने लगा कि आखिर यह खुराफात किया किसने? कैमरा चेक हुआ तो दूध का दूध पानी का पानी हो गया। इसके पश्चात मोहन को ऑफिस में बुलाया गया और उससे पूछा गया स्वाति तो तुम्हारी अच्छी दोस्त है, वह हमेशा तुम्हारा अच्छा सोचती है फिर तुमने ऐसा क्यों किया? टीचर के ऐसा पूछने पर मोहन ने कहा, सर मैं तो सिर्फ उसको अप्रैल फूल बनाने के लिए ऐसा किया था। जब स्वाती को यह बात पता चली तब वह मनोज के पास गई और बोली मनोज मैं तुम्हें कितना मानती थी और आज भी मानती हैू। मैने तुम्हें सुधारने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन तुम मेरे साथ ऐसा करोगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था। आज के बाद मैं तुम्हारी तरफ़ कभी मुड़कर नहीं देखूंँगी अब मैं तुम्हें नहीं जानती और तुम मुझे नहीं जानते, और हाँ यह अपना अप्रैल फूल का रिटर्न गिफ्ट तो लेते जाओ ऐसा कहते हुए स्वाती ने मोहन केगालपर जड़कर तमाचा लगा दिया।

इस प्रकार मनोज अपने शैतानी और खुराफाती दिमाग और अप्रैल फूल की वज़ह से एक सच्चे और ईमानदार मित्र को सदा के सदा सदा के लिए खो दिया। आज भी अप्रैल फूल के चक्कर में पड़कर लोग किसी का दिल दुखा देते हैं तो कहीं रिश्तो को तार-तार कर देते हैं। आज समय की मांँग है कि

इस दिवस को मनाने के चक्कर अपने सच्चे , ईमानदार विश्वास पात्र रिश्तों को मत खोईये।

साधना शाही, वाराणसी

   15
6 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 12:11 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

Gunjan Kamal

11-Apr-2024 03:55 PM

शानदार

Reply

Varsha_Upadhyay

10-Apr-2024 11:43 PM

Nice

Reply